1979 में राज्य स्थापना के लिए 21दिन की भूख हड़ताल में, हमने ऐसे राज्यकी कल्पना नहीं की।
आज उत्तराखण्ड में भ्रष्ट राजनेताओं एवं अफसरशाही , माफियाओं,जैसे ड्रगस, शराब, भू, शिक्षा,वन , का एक अटूट गठबन्धन बन चुका है, जो कि उत्तराखण्ड को लूट रहा है। कहाँ तो ये पहाड़ को स्विटजरलैंड बनाने की बात कर रहे हैं और आज कहाँ 35 लाख लोग राज्य बनने के बाद पहाड़ों से अपने गाँवों को छोड़ चुके हैं। एक साजिश के तहत पहाड़ के नौजवानों को नशे का आदि बनाया जा रहा है जिससे की ये लोग सरकार के खिलाफ लड़ न सकें। उत्तराखण्ड प्रदेश के साथ क्या विडम्बना है कि पहाड़ में 200 नाली जमीन का मालिक घर छोड़ रहा है केवल एक छोटी सी नौकरी के लिये। वहीं मैदानों में 5 नाली जमीन वाला करोड़ों का मालिक। फिर किस पैमाने पर पहाड़ का विकास होगा। इसके लिए कठोर एवं आर- पार के निर्णय लेने वाला उत्तराखण्ड का कोई सिरफिरा नेता ही, जो कि वोट बैंक की राजनीति को नजर अंदाज करके पहाड़ के हित में कठोर निर्णय लेकर ,उत्तराखण्ड को वास्तव में स्विटजरलैंड बना सकता है, की जरूरत है।
भ्रष्टाचार ही इस प्रदेश की राजनीति है। तिवारी सरकार के कार्यकाल में हुये 56 घोटालों को मुद्दा बनाकर भाजपा ने चुनाव लडा, एवं जनता से भयमुक्त एवं भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देंगें, का वादा किया। साथ में जनता से चुनावी सभाओं में वादा किया कि सभी भ्रष्टाचारियों को एक महीने के भीतर जेलों में भेज देंगे। भाजपा सरकार, सत्ता में आने के 5 साल बाद भी किसी भी काँग्रेसी नेता को जेल तो क्या थाने तक भी नहीं बुला पायी, एवं स्वयं भ्रष्टाचार में मंत्रमुग्ध हो गई। फिर काँग्रेस ने भाजपा सरकार में हुए 100 से अधिक घोटालों को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई एवं चुनावी सभाओं में जनता से वादा किया कि वह 3 महीनों के अन्दर , राज्य बनने के बाद हुए सभी घोटालों की CBI जाँच कराएगी। जैसे तैसे काँग्रेस ने सरकार बनायी, एवं अब काँग्रेस ने CBI जाँच तो दूर की बात है, जिन भ्रष्टाचार के मामलों के लिए कई आयोग गठित किए गये थे, जिन पर की प्रदेश की जनता का करोड़ों पैसा खर्च हुआ, उनकी फाइलों को सार्वजनिक करने के बजाय दबा कर रख दिया। और आज फिर भाजपा एक बार फिर उसी रूप में, वर्तमान काँग्रेस सरकार में हुए घोटालों के खिलाफ, केन्द्रीय नेताओं की फौज को प्रदेश की जनता के बीच में खड़ा करके, प्रचार कर रही हैं, कि उसे एक बार फिर से सत्ता में ला दो तो वह प्रदेश के तमाम भ्रष्टाचारियों को चाहे वह बड़ा हो या छोटा, को जेल भेज देगी। देवभूमि उत्तराखंड की महान जनता जिसने अपने बलिदान, त्याग एवं प्रताड़ना से यह प्रदेश बनाया, यह सब कुछ जानती है। वह मजबूत है पर मजबूर है। क्या यह महान जनता जिसने राज्य का निर्माण किया, भ्रष्टाचार के नाम पर प्रदेश में राज करने वालों के खिलाफ स्वयं विकल्प तैयार कर पायेगी??
उत्तराखंड की सरकारों ने जितना पैसा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, नोएडा के बिल्डरों, कान्टेक्टरों, शराब माफियाओं, भ-माफियाओं, शिक्षा माफियाओं, ड्रग्स माफियाओं को बसाने एवं इनको, प्रदेश में हो रहे सभी कामों को करने के लिए खर्च किया, उतना अगर पहाड़ की जनता के विकास एवं पहाड़ों को बचाने में लगाया होता, तो निश्चित ही यह प्रदेश आज विकास की कई ऊँचाइयों को छू चूका होता। इससे सम्बन्धित कोई सुझाव एवं विचार हों, तो अवश्य अवश्य बताएँ।
जय उत्तराखण्ड
आपका स्वामी दर्शन भारती

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