उत्तराखंड का खून आखिर कब तक चूसोगे,माफियाओं एवं भ्रष्टाचारियों..
जिन माँ-बहिनों ने अपने त्याग एवं बलिदान से यह उत्तराखंड बनाया था आज वही माँ-बहिनें शराब एवं शराब माफियाओं के खिलाफ पहाड़ों में एक जुट खड़े हैं. नमन उन माँ-बहिनों को जो चिलचिलाती हुई धुप में भी शराब एवं शराब माफियाओं के खिलाफ उसी रूप में संघर्षरत है जैसे उत्तरखंड राज्य आंदोलन में. आखिर कहाँ सरकार के वह जनप्रतिनिधि जिनको पहाड़ की महिलाओं ने शराब बंदी के नाम पर अपार बहुमत दिया. क्या ऐसे ही उत्तराखंड की कल्पना की थी इस सरकार से प्रदेश के लोगों ने लोगों ने. जहाँ तो समस्त प्रदेश में शराब की पूर्ण बंदी होनी चाहिए, इसके विपरीत सरकार शराब एवं शराब माफियाओं को और बढ़ावा दे रही है. सोचो उन लोगों का क्या होता होगा जो की पहाड़ों में रहकर विभिन्न स्रोतों से जो थोड़ा सा पैसा कमा लेते हैं और फिर उसी को शराब के माध्यम से मैदानी क्षेत्रों में लाया जाता हैं. एक तरफ जहाँ पहाड़ के युवा बाहरी प्रदेशो में नौकरी करके कुछ पैसा बचाकर अपने घरो में लाते है तो वहीं दूसरी तरफ हमारी सरकार इस पैसे को शराब के माध्यम से मैदानी क्षेत्रों में वापस ले आती है.उदाहरण के तौर पर सरकार उत्तरकाशी जिले से शराब से राजस्व के रूप में चालीस करोड़ रूपए लाती है, इसका मतलब वहां एक सौ पचास करोड़ की शराब का हर साल वैध कारोबार होता है, अवैध कितना है इसका कोई अनुमान नहीं. आखिर इतना पैसा उत्तरकाशी जैसे जिले में कहाँ से आया जबकि वहां न खेती है न बागवानी न पर्यटन. ये सब पैसा प्रदेश के उन युवाओं द्वारा कमाया गया पैसा है जो बाहरी प्रदेशों में काम रहे है. आज तक प्रदेश में कम से कम एक लाख पचास हजार लोग शराब के कारण जैसे कार दुर्घटनाओं एवं शराब से होने वाली बीमारियों से अपनी जान गवां चुके हैं, और इस सरकार के रहते हुए यह आंकड़ा कहाँ तक पहुँचता है इसका कोई अनुमान नहीं. आज उत्तराखंड सरकार को उन माँ बहिनों एवं नौजवानों के भविष्य के लिए अति गंभीरता से सोचना चाहिए जो शराब एवं शराब माफियाओं के खिलाफ पहाड़ों की विषम परिस्थितियों में आज दिन रात संघर्षरत है.
संपर्क-9927067028
स्वामी दर्शन भारती

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